चेहरे पे

ज़िन्दगी में हर किसी के उलझन है बस दर्द झलकता नहीं चेहरे पे |

याद आती है वोह फ़िज़ाए मगर कशिश पढ़ती नहीं चेहरे पे |

येह वक्त की झुर्रियां देख कर परेशानी पे दर्द झलकता नहीं चेहरे पे |

अश्को को जज़्ब करलेती है यह आँखें, जज़्बातो को दिल में पनाह मिल जाती है;

ज़बान भी खामोश हो जाती है मगर, याद ज़ेहन में ताज़ा हो जाती है |

कहाँ छुपाऊं इस बेबसी को ै हुसैन, जब उलझने ज़िन्दगी की कर पाता नहीं इस चेहरे पे |

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