सरहदे

मैं किसी सरहद को नहीं मानता,

मैं किसी मुल्क को नहीं मानता,

अभी तो फिलहाल यही हकीकत है,

तो हुसैन आज मान लो इस हकीकत को,

सरहदे भी है और दिलखुशा भी है

बस मंज़र येह वक्त का है की

मुश्किलखुशा भी है, और आतिशैखुशा भी हैं |

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